कल-कल बहता हर पल जल|
अव्रोधोन्से से जब टकरता ,
देता अपनी राह बदल |
बाधाओन्से मत घबराना
ये कब रुकती , आती कई |
चाह न मंजिल कि छुटे,
चून लेना तुम राह नयी |
नये लक्ष्य और नये क्षितीज
गर पाना हम चाहे
क्यॉ फिर इंतजार करे कि
लहरे थम जाए
जीवन कि ईस उथल पुथल् मे
तुफान कई आते है
पर लहरों से डरने वाले
कब मोती पाते है ||
जीवन के उजले परदे पर
पल-पल दृश्य गुजरता है
नजरे चाहे जो भी देखे
सब निर्भर सोच पर करता है
है सूर्य क्या - उर्जा , प्रकाश
या आग का धधकता गोला
हाटती निशा खुलती दिशा
सोच का जब बदले चोला
वीणा खान
Contribution By अमिता चावरे
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